"नजर से नजर मिली है"
नजर से नजर जब से मिली है फिर से दर्शन की प्यास लगी है दिन सुहाने हो गए मोहन मेरे जब से श्याम की एक झलक मिली है आंखों में काजल झीना लगा है वो नैनों से बातें प्यारी लगी है उठाकर नजरें जब देखता है मुझको तो यह दुनिया भी बैरन लगने लगी है मोर मुकुट कान्हा के शीश सजो है काठ की बंसी अधर धरो है मधुर मुसकावे मधुर बाजावे श्याम युगल सरुप में मनभावन लगो है। कूल से जब फूल किशोरी लेने लगी हैं यमुना भी चरण पखारन लगी हैं धन्य भाग्य भानुजा के आज राधे भानुजा का भानुजा चरणामृत लेने लगी है भानुजा शर्मा📝