"किनारा हो गए"

*हमारे ही शहर में कर रहे थे वो खुद की वफाओ का जिक्र......
निगाहें हम पर क्या पड़ी वो खामोश हो गए।

* एक वक्त था जब आते जाते वो मिलते थे हमसे  किनारों पर कहीं .....
देखते ही देखते वो हमसे किनारा हो गए।

*वो अक्सर रूठ कर भी कहते थे हमसे जरा संभल कर जाना
जाने वो कैसे अब इतने बेदर्द हो गए।

* इंसाफ भी तो देखो उनका ,अदालत लगी भी तो उनके शहर में....
मेरे गवाह  मेरे तब  खिलाफ हो गए।

बड़े शान से कहते फिरते थे जमाने में हमने नही की कभी मोहब्बत..
नाम सुन कर वो हमारा भानु आज चुप हो गए।
  
      भानुजा शर्मा📝


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