" डिजिटल शिक्षा"

जैसा की हम सब अवगत है हमारी सरकार आज कल डिजिटल शिक्षा पर जोर दे रही है या कहे डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दे रही है।
ये वाकई सही है क्या ?और सही भी है तो क्या हमे हमारी परंपरागत शिक्षा को छोड़ देना चाहिए?
पूर्ण रूप से डिजिटल शिक्षा  पर निर्भर होना मैं तो गलत मानती हूं उसका कारण ये है की जब एक विद्यार्थी स्कूल और कॉलेज जाते है तो नये विद्यार्थियों के और नए शिक्षकों के संपर्क में आता है। कुछ ना कुछ नया सीखने को मिलता है  खेलकूद जैसी गतिविधियों में भाग लेता है जिसे उसका शारीरिक विकास नहीं  उसका मानसिक विकास भी अच्छी तरह से होता है। डिजिटल शिक्षा से मेरे दृष्टिकोण से सहयोग करने की भावना तो पूर्ण रूप से समाप्त हो ही जाती है जब विद्यार्थी अपने सहपाठियों से नहीं मिलेगा तो सहयोग करने की भावना का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। हंसना, बोलना ,खेलना ,कूदना,मित्र, ये सारे बातें सिर्फ और सिर्फ शब्द बनकर ही रह जाएंगे डिजिटल शिक्षा होने से  इनका अस्तित्व ही नहीं रहेगा।  जब बच्चे अकेले रहेंगे तो मानसिक तनाव जैसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ेगा। और तनाव में आकर गलत कदम भी उठा सकते हैं आत्महत्या करने वाले अधिकांश विद्यार्थी होते हैं जो अकेलेपन तनाव के कारण आत्महत्या कर लेते हैं।
हमारी मानसिकता किसी विषय को समझने तक ही सीमित रह जाएगी। सामाजिक ज्ञान अच्छा बुरा हम कभी नहीं समझ पाएंगे अपने गुरुओं का आदर करना ये कभी नही सिख पाएंगे।
 डिजिटल शिक्षा से शारीरिक दुष्प्रभाव क्या होते हैं उनके बारे में देखते हैं।
अधिक समय जब बच्चे डिजिटल स्क्रीन के सामने रहेंगे जिससे उनकी नेत्र ज्योति पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। हमारे समाज में कई ऐसे केश आये है जिससे बच्चों की नेत्र ज्योति पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है इसके अलावा भी कई समस्या है माइग्रेन की समस्या वो हो जाती हैं।
 ये सब छोड़कर  एक दूसरे दृष्टिकोण से भी देखते हैं। हमारे समाज में सभी लोग मध्यम वर्ग के नहीं है बच्चों के लिए कंप्यूटर, मोबाइल, टैबलेट, यह सब उपलब्ध नहीं करा सकते। क्या उन बच्चों के लिए शिक्षा  सिर्फ सपना बनकर रह जाएगी। क्या वह बच्चे शिक्षा के हकदार नहीं।
हमें शिक्षा में डिजिटल शिक्षा अपनानी चाहिए लेकिन हमारी परंपरागत शिक्षा को नहीं भूलना चाहिए।
परंपरागत शिक्षा से बच्चे का मूल रूप से विकास हो पाता है जो विकास परंपरागत शिक्षा से संभव है वह डिजिटल शिक्षा से कभी संभव नहीं हो सकता।

                  भानुजा शर्मा🙏


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