"पायो बनवारी"
क्यों बैठी क़दम तन प्यारी
का खोया है बनवारी।
घर वार हम छोड़ के आई
शरण में लो अब प्यारी।।
ढूंढत ढूंढत हारे किशोरी
कहां गए हो मुरारी।
यमुना तट पर देख हम आई
ना मिलो मुझे त्रिपुरारी।।
पद चिन्ह खोजत चले किशोरी
तो पाई है राधा प्यारी।
चरण कमल पूजत हम आई
किशोरी मिलवा ओ गिरधारी।।
भूल गई हम अपने विरह को
रोवत देखी जब राधाप्यारी।
देख तो हम सब कुंजन आई
ना दर्शन दियो बनवारी।।
मिलकर रुदन करत सखिया
गावत गोपी गीत सब न्यारी।
भानुजा शरण भानुजा के आई
प्रगटे तब निधिवन बिहारी।।
अद्भुत
ReplyDeleteप्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत आभार
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