" उलझन बहुत सारी है"
सर पर वजन नही हैं आज मेरे।
पर मन मेरा जाने क्यों भारी हैं।।
नजर आते हैं मुझे कई रास्ते मेरे।
पर नजर सिर्फ मंजिल पर सारी है।।
थकी नही हूँ अभी तन से मेरे।
जान क्यों अब मन से थकान भारी है।।
चैन नही मिलता मुझे जहन में मेरे।
लगता हैं ख़्यालो मे ख्वाहिश बहुत सारी है।।
वफादार मिला ही नही भानु मन को मेरे।
लगता हैं मेरे शहर में बेवफ़ाओ की भीड़ सारी है।।
भानुजा शर्मा 📝
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