" भोजन करत लाड़ली लाल"

 पावत प्रसाद निज कुंज में दोनों
 सखियां निरखन लागी हैं
ललिता सखी चमर डुलावत
विशाखा सेवा में ठाडी है।।

मोर मोरनी नाचत हैं सम्मुख
वीणा की धुन न्यारी हैं।
लता करत स्वयं पुष्प वर्षा
ध्याय जिन्हें शुक मुनि ज्ञानी है

प्रसाद पाऔ पहले किशोरी
निवेदन करत बनवारी है
स्वयं हाथन सो पवावत लला
देख छवि भानुजा बलिहारी है।।

पायो प्रसाद किशोरी ने
अब पावत निधिवन बिहारी है।
हाथन सो मोदक पवाए किशोरी
प्रफ़ुल्लित मंजरीगण सारी है।।

कहत मणि मंजरी सखियन सो
युगल की शोभा आज न्यारी है।
बीड़ा प्रसाद लेके मै जाउ आज
यह लालसा मन में भारी है।

चमर अब मोये डुलावन दो सखी
निकट से निरखु या बनवारी है
 मीठी बतियां करत मनमोहन।
सर्वस्य युगल पर भानु को बलिहारी है।।
  
      भानुजा शर्मा🙏

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