"दर्शन दो राधा माधव अब"

             "  कुंजन में"

 करत रास राधा माधव कुंजन में
गोपियन मध्य वो ठाड़े हैं।
सबके पास कृष्ण रास में
सोचत  कृष्ण सिर्फ हमारे हैं।।

आयो मद जब गोपियन  में
अंतर्ध्यान युगल हमारे हैं।
विहरत राधा माधव कुंजन में
जो गोपियन सो प्राणन प्यारे हैं।।

ढूंढत गोपी माधव को कुंज कुंज में
कहां आज छुपे प्राणधन हमारे हैं।
पूछत गोपी पीपल वृक्ष सो
तुम तन आये कृष्ण हमारे है।।

का पूछो सखी वृक्षन सो
ये पुरुष जाती के न्यारे है।
का जाने ये बात प्रेम की
सब छलिया के सखा प्यारे है।।

पूछत मृग सो एक सखी 
दूर दूर तक तुम भागत हो।
देखो का मृग सी आखंन वारो
जो राधा प्राणन प्यारो है।।

पुलक रही हो काहे धरा तुम
का श्याम को स्पर्श पायों है।
देखो होये तो बता दो सखी
अब निकरो प्राण हमारों हैं।।

पूछत सखी तुलसी रानी सो
तुमने तो ठकुरानी पद पायो हैं।
तुम बिन करत ना श्याम भोजन हूँ
का देखो ब्रजराज हमारो है।।

 सर्वस्व वार बैठी भानु वृक्ष तन
 गावत गोपी गीत न्यारो हैं।
 दर्शन दो राधामाधव अब 
चाहे ले लो प्राण हमारो हैं।।

     भानुजा शर्मा📝
   


 






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