" बचपन लौट आया है"

घिर आये हैं बादल, या बचपन लौट आया है
छतों का वो पानी भरना ,गलियों में नाव चलना याद आया है
लगता है आज बचपन फिर से लौट आया है।।

चलने लगी है मंद हवायें, बादलों का झुंड आया है।
बरसने लगी है रिमझिम बरखा ,पैरों का छप छपाना याद आया है
आज फिर से वो जमाना याद आया हैं।।

चिड़िया की चहचह सुनी आज,मोर नाचने आया हैं
पेड़ों में आज पके जामुन देख जाने क्यों फिर से  मन ललचाया है
लगता है आज बचपन फिर से लौट आया है

भीनी खुशबू धरा की लगता है इत्र से छिड़काव कराया है
बरसों बाद फाड़े हैं आज पन्ने मैंने,वो नाव बनाना याद आया है
समझदारी की उम्र में,वो नासमझ बचपन याद आया है

बच्चों की वो टोली देख, मन आज भर आया है
मुझे भी आज मेरा वो गुजरा जमाना जाने क्यों याद आया है।
लगता है भानु आज बचपन फिर लौट आया है।
   
          भानुजा शर्मा📝

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

आन मिलो सजना

" शासन"

अनकही बातें❣️