" कसूर"
मोहोब्बत क्या हुई कसूर हो गया
क्या कह दिया दिल का हाल
तो घर में बबाल हो गया
बहुत कहती थी तुम तो
हमदर्द हो मेरी...
तुमसे सच क्या कहा हमने
तुम्हारा दिल बेदर्द हो गया
नुक्स क्या निकाले हमने
तुम्हारे जिगरी में...
कच्चा चिट्ठा हमारा सरेआम हो गया
तुम्हारी गलतियां तो सब
राज हो गई..
सिर्फ हमारी ही क्यों सवाल हो गई।
तुम भी तो कहती हो हर बात
अपने जिगरी से..
हमने किसी से कुछ कहा तो जुर्म हो गया
कहना कुछ नही चाहती मै तुम से
कह लो कुछ भी ....
भानु की यही खामोसी भारी होगी तुम्हारे तंजो से।
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