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Showing posts from October, 2023

रास पूर्णिमा😍

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देखी री मैंने युगल विलसते देखें श्वेत वसन चाँदनी अंबुज,रतन सिंहासन देखें कंचन वरन श्वेत वसन ,ओढ़ दुशाला देखें मयूराकृत कुंडल हैं धारे,मोर पंख शीश धरत देखें प्यारी की शोभा वरन न जाई,श्याम चरनन लौटत देखें अम्बुज कुँज चांद बनौ दीपक,डार गलवईयां देखें करतल ताल बजावत सखियां, गल से गल मिल देखें रास पूर्णिमा की आज बेला,'भानु'गुरुदेव युगल संग देखें रास पूर्णिमा(शरद पूर्णिमा) की हार्दिक शुभकामनाएं भानुजा शर्मा✍️✍️❣️

आज भी खड़ी

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आज भी खड़ी हूँ उस राह पे जहाँ तूने छोड़ा था अब तू कभी लेने ना आये वो और बात हैं तेरी हँसी, तेरा गम,तेरी नादानियां सब कुछ सँभाल हैं मैंने अब तू मेरी याद भी ना सम्हाल पाए वो और बात हैं

दो रिश्ते

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दो रिश्ते नही रखे जाते प्रेम की दुनियां में ज़नाब तुम्हारी हूँ तो हक से कहो। छुकर पांव मेरे अब क्या आशीर्वाद लेना चाहते हो जा नासमझ दुआ करूँगी कभी कोई मुझ सा ना मिले। कोई ख़ास कशिश ना रही तुझसे रूबरू होने की तेरी यादों में तेरी कभी रुख़्सती नही होती। हर मर्तबा दुआओं में तेरी दुआ क़बूल हो यहीं मांगा था क़बूल हुई जब दुआ तो मालूम हुआ तुमनें हमें छोड़ सब माँगा था 

ख़ामोश😢

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अक़्सर मैं खामोश हो जाती हूं जब दिल भरा भरा सा रहता हैं बेहिसाब हँसती हूं उस रोज जब मन खुल के रोना चाहता हैं टूट कर आज भी रो देती हूँ उसके आगे पर अब वो समझना कब चाहता हैं मेरी हर खामोशी की ख़बर रहती थी उसे मेरी अब सीधी बातों को भी कम समझ पाता हैं होती ही नहीं बातें अब किसी से मन अब ख़ुद से कहने से भी घबराता हैं भानुजा शर्मा

खुद घुट रही हूँ

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ख़ुद घुट रही हूं या मन घुट रहा हैं कुछ तो हैं जो मन में बिखर रहा हैं दफ़न हो चुकी है बेचैनी भी मन में दर्द अब होले होले सिसकियाँ ले रहा हैं खता ना तेरी थी ना मेरी थी क्या फ़र्क पड़ता भानु जमाना अब क्या कह रहा हैं इस तरह साथ से क्या फ़र्क पड़ता हैं इतने तारों के बीच भी चाँद अकेला पड़ रहा हैं

नैनन

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नैंन से नैंन मिले जद ते,भान नही दिन रातन कौ उरझत नैनन ही नैनन में चटकीली तिरछी आँखन वारो उरझि सुरझि नैनन ते जद, फंदा मंद मुस्कान को डारो बातन ही बातन रैन भई कहवत हूँ तम मिटावन वारो। भानुजा

मथुरा

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आज सखी साँझी मथुरा चित्र बनाई काराग्रह प्यारे जन्म लियो कंस मारतो परो दिखाई  तज गए वृंदावन जब  नैनन नींद परी ना दिखाई गावत गोपी गीत पुकारे तुमकौ आओ कृष्ण कन्हाई कृष्ण विरह  बावरी सखियां कृष्ण कृष्ण करत चिल्लाईं   भानुजा कृष्ण दर्शन प्यासी अखियां परी पलक बिछाई भानुजा शर्मा

युगल

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सखी तूने भली साँझी पूजवाई युगल बने चित्र में ऐसी छवि दरसाई विलस रहे दोऊ कुसुम सेज लेवत मंद मंद तन अँगड़ाई परस दरस रहे एक दूजें नैनन प्यारे अपनी सुध बुध बिसराई पुलक रहे मिल मिल तन फुले प्यारी रही अधिक सकुचाई रूप निरख बरनत ना बने मन सखी का रसिकन समझाई एक ही बंसी धरि दोऊ अधर सो प्रिया प्रियतम दोऊ लेत बजाई "भानु अली" प्यारी बिन अब तो  मन कहि ठौर ना पाई भानुजा शर्मा

बलदाऊ

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आज मन एक अभिलाषा संग देखूं दोऊ भईया साँझी ऐसो चित्र बनायो ग्वाल गऊ बड़ो भईया बढ़त रहे बलदाऊ को बल,कृष्ण प्रेम खिवईया मन साँझी पूजत एक अभिलाषा चिरजीवों दोऊ भईया कहत सगरो माखन दाऊ कूं दीनों छोटो कुंवर कन्हैया का स्न्नान करायो माखन सो भूरो हैं बड़ो भईया बछड़ा तो तेने मोकूं सोंपे, बलदाऊ कूँ काहे गईया बारो ना हैं 'भानु' कुँवर कन्हैया गिरिवरधारी मैं मईया भानुजा शर्मा
आज सहचरी साँझी वृंदावन बनाई ललिता सखी कुँज गलिन सो साँझी हित कुसुम लाई पूजा थाल दिनौ किशोरी सहचरी गीत प्रीत के गाई उपजों मन प्रेम घनेरो आज साँझी शोभा वरण ना जाई निरख रहे दोउ परस्पर सखी साँझी ऐसो चित्र बनाई प्रीत रंग बढ़त रहे निसदिन एहि कामना मन आई भानुजा लाड़ली कृपाबल अब वृंदावन तज ना जाई भानुजा शर्मा

सखी मनोरथ

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सखी मनोरथ भीगत देखत छवि प्यारी गौरांगी श्यामा पहन वदन पीली सारी चंद्रका धरि बूंद जल लगत मोतियन सो न्यारी केशन सो जल टपकत ऐसे भीगत श्याम बिहारी कसत कंचुकी भिगत जो जो होवत प्रियतम बलिहारी कुसुम सेज दोउ विलसत ऐसे कबहु ना मिले पिय प्यारी स्वेद बूंद कपोलन दमकत मानो लगत चंद्र कटारी बने रहे सदा नव दूल्हा दुल्हिन करत रहे केली सुखकारी भानुजा गुरुदेव कृपा बल यह छवि निरखत गुरुदेव चरण बलिहारी।

बरसाने

सखी आज बरसाने साँझी पुजवाई कुसुम चुन चुन आज सखी नंदगांव सो लाई केसर कुमकुम पूजत साँझी मांग सग सिंदूर सजाई काहे मुसकावत कुँवरि राधिका हमकौं देऊ बताई किशोरी का हित पूजत साँझी काहे रहीं सकुचाई फिर फिर लाड़ली कुँज ओर निरखत प्यारों परो दिखाई चतुर सहेली हित जातन मेरों श्याम सुंदर संग ले लाई भानुजा गुरुदेव कृपा सो यह छवि नैनन माही बसाई भानुजा शर्मा

मानते खतायें

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मान लेते खतायें हमारी ही हैं क्यो ना नज़रे चुराई कहो तो सही। भूल जाऊंगीं बातें सब की सभी लौट आओगे तुम कहो तो सही। इंतज़ार का हक़ दिया जो मुझें लौट पाओगें इस जन्म कहो तो सही मोम सी पिघल मैं जल तो गई क्यों ना धागा बचाया कहो तो सही। बांध लिया जो बंधन अब सदा के लिए हमें कैसे भुलाओगे अब कहो सही। आएगी दीवाली सजेगी तेरी गली भानु ख़ुद को सजा ले कहो तो सही। भानुजा✍️

शांतनु कुंड

आज साँझी शांतनु कुंड कूल बनाई कछुक कुसुम गुलाल सतरंगे कृष्ण नाम सजाई मदना देखत चकित साँझी कौ लेत मंद अंगड़ाई किशोरी निरखत रसमय नैंनन श्याम मन भरमाई भानुजा राधा चरणदासि बर साँझी सुरति परम् सुखदाई भानुजा शर्मा

कुसुम सरोवर

देखें सखी साँझी खेलत कुसुम सरोवर  भंवर मडरावत कमल राधिका बहके पराग अमल में.. प्रिया प्रियतम जल में ऐसे लहरत कमल दल जल में तैर कौन पार करत सरोवर होड़ लगी नवेली नवल में सखी विलोकत युगल छवि ऐसे चंद्र चकोर वगल में भानुजा राधा चरणदासि  छवि गुरुदेव कृपा सो नैनन में भानुजा शर्मा✍️