दो रिश्ते
दो रिश्ते नही रखे जाते प्रेम की दुनियां में ज़नाब
तुम्हारी हूँ तो हक से कहो।
छुकर पांव मेरे अब क्या आशीर्वाद लेना चाहते हो
जा नासमझ दुआ करूँगी कभी कोई मुझ सा ना मिले।
कोई ख़ास कशिश ना रही तुझसे रूबरू होने की
तेरी यादों में तेरी कभी रुख़्सती नही होती।
हर मर्तबा दुआओं में तेरी दुआ क़बूल हो यहीं मांगा था
क़बूल हुई जब दुआ तो मालूम हुआ तुमनें हमें छोड़ सब माँगा था
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