ख़ामोश😢

अक़्सर मैं खामोश हो जाती हूं
जब दिल भरा भरा सा रहता हैं

बेहिसाब हँसती हूं उस रोज
जब मन खुल के रोना चाहता हैं

टूट कर आज भी रो देती हूँ उसके आगे
पर अब वो समझना कब चाहता हैं

मेरी हर खामोशी की ख़बर रहती थी उसे
मेरी अब सीधी बातों को भी कम समझ पाता हैं

होती ही नहीं बातें अब किसी से
मन अब ख़ुद से कहने से भी घबराता हैं

भानुजा शर्मा

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