बलदाऊ
आज मन एक अभिलाषा संग देखूं दोऊ भईया
साँझी ऐसो चित्र बनायो ग्वाल गऊ बड़ो भईया
बढ़त रहे बलदाऊ को बल,कृष्ण प्रेम खिवईया
मन साँझी पूजत एक अभिलाषा चिरजीवों दोऊ भईया
कहत सगरो माखन दाऊ कूं दीनों छोटो कुंवर कन्हैया
का स्न्नान करायो माखन सो भूरो हैं बड़ो भईया
बछड़ा तो तेने मोकूं सोंपे, बलदाऊ कूँ काहे गईया
बारो ना हैं 'भानु' कुँवर कन्हैया गिरिवरधारी मैं मईया
भानुजा शर्मा
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