युगल
सखी तूने भली साँझी पूजवाई
युगल बने चित्र में ऐसी छवि दरसाई
विलस रहे दोऊ कुसुम सेज
लेवत मंद मंद तन अँगड़ाई
परस दरस रहे एक दूजें नैनन
प्यारे अपनी सुध बुध बिसराई
पुलक रहे मिल मिल तन फुले
प्यारी रही अधिक सकुचाई
रूप निरख बरनत ना बने मन
सखी का रसिकन समझाई
एक ही बंसी धरि दोऊ अधर सो
प्रिया प्रियतम दोऊ लेत बजाई
"भानु अली" प्यारी बिन अब तो
मन कहि ठौर ना पाई
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