आज सहचरी साँझी वृंदावन बनाई
ललिता सखी कुँज गलिन सो साँझी हित कुसुम लाई
पूजा थाल दिनौ किशोरी सहचरी गीत प्रीत के गाई
उपजों मन प्रेम घनेरो आज साँझी शोभा वरण ना जाई
निरख रहे दोउ परस्पर सखी साँझी ऐसो चित्र बनाई
प्रीत रंग बढ़त रहे निसदिन एहि कामना मन आई
भानुजा लाड़ली कृपाबल अब वृंदावन तज ना जाई
भानुजा शर्मा
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