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Showing posts from July, 2023

किस से कहूं

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                  मन की बेचैनी किस से कहूं की आज मन में अजीब सी बेचैनी हैं ख़ुद के खो जाने की या कुछ ना भूल पाने की। सबको ख़ुश रखने में खुद के ना हँस पाने की देख कर ख़ुद को आईने में खुद की याद आने की। मोम जैसे उस शीतल मन के पिघल जाने की या मोम में लगे उस निर्दोष धागे के जल जाने की इस ज़माने की भीड़ से खुद को अलग कर पाने की खुद की पीडाओं में ख़ुद के लिए ख़ुद ना रो पाने की जानकर मतलबी दुनियां को फ़िर भी रिश्ते निभाने की जानता है मेरा नासमझ सा मन ये अजीब सी बेचैनी हैं  जमाने की भीड़ में ख़ुद के गुम हो जाने की 'भानु' उस मन मुकुन्द परमात्मा को पाने की ये अजीब सी बैचनी हैं माधव तुम से ना मिल पाने की। भानुजा शर्मा  करौली (राजस्थान)

अब दुख हिबड़े नाये समाये

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अब दुख हिबड़े नाय समाए जब ते गए तुम मदमोहन नैनन नींद कहा आये उठ उठ रैन बाट जोबती कब मोहन द्वार बजाये माखन मटकी टांग छीके कौन माखन कूँ खाये साज श्रृंगार भूली सगरे कहा काजर लाली लगाये सींचो हमनें प्रेम वृक्ष जो प्यारे काहे निवोरी खाये राह तकत ' भानु' परसों की माधव बगद घर आये भानुजा✍️✍️✍️✍️❤️

अखियन सौ झर लागे

अखियन सौ झर लागे बैरी सावन आए लगो मन नैनन नीर बहावे। जग भीगे सावन बरसा तन अखियन तोय नहावे मन जेठ दुपहरी तप्त भू जल सो किलोल मचावे आग लगे ऐसे सावन मेरो श्याम धनी ना आवे 'भानु' माधव संग बिन प्यारी काहू मोहे ना सुहावे।। भानुजा✍️✍️✍️✍️✍️

गुरु बनदन

प्रथम बंदन गुरु पद किना दूजे पूजू गोविंद। तीजो नमन मात पिता को जिन पायो में देह। बलिहारी 'भानु'  निधिवनजू की जिन जोड़ो मोहे नेह।।

माखन

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मईया मोहे माखन लोंदा चहिये सगरों माखन दाऊ कु देवे,छोटो रयो कुँवर कन्हैया का स्नान करायो माखन सो भूरो हैं बड़ो भईया मैं कारो तेने काहे बनायो कनुआ कहवत सग मईया बछड़ा तो तेने मोकूं सोंपे, बलदाऊ कू काहे गईया वारो ना हैं' भानु'  कुँवर कन्हैया गिरिवरधारी मैं मईया भानुजा✍️✍️✍️🙇

मैं हारी गोपाल

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अब मैं हारी गोपाल काम क्रोध मद लोभ सताई अब तारो गोपाल।। जब ते बैठी संतन के ढिंग इत उत डोले लाल।। जग की सताई कित में जासी चरण परु नंदलाल।। लोग हँसत दिन रैन में रोऊ सम्मुख यशोदा लाल।। जब आवत प्यारी संग में "भानु" अखियां होत निहाल।। भानुजा शर्मा✍️✍️✍️

मैं भोरी की भोरी

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मैं भोरी की भोरी जाऊँ कित तोहे छोड़ प्यारी तू ही सर्वस मोरी ब्रजराज हु तेरी करत चाकरी देखत अखियाँ मोरी चरनन जावक श्याम लगावत सकुचावत किशोरी जित देखूं उत तू ही दीखत का खो गई सुध मोरी भोरी देत अशीष प्रेम सुख 'भानुजा' झपकत पलक निगोड़ी भानुजा✍️✍️✍️❤️

तेरी शादी

जिसकी हल्दी मेहंदी मुझको लगनी थी मैं ही किसी और को लगा रही हूं देख तो जरा मेरी हिम्मत...तेरी दुल्हन सजा रही हूं। जो करने थे तुझे फेरों के बक्त वादे मुझसे देख तेरा ग्रन्थी बंधन बांध रही हूँ कुछ तो ख्याल करता मेरा..तेरा आज सेहरा पहना रही हूं जो बंधना था पवित्र धागा मेरे गले में आज तेरी पत्नी का सम्हाल रही हूँ क्या बाते करेगा मेरी वफ़ा की देख तेरी शादी रचवा रही हूँ भानुजा✍️✍️✍️

नाच सिखावत

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नाच सिखावत कुँवर कन्हैया ,सखियां ना सहचरी टोली निवर्त कुँज ले जाये श्यामजू, नाचत आज त्रिभंगी जोरी रिमझिम रिमझिम बरसत मेधा,भीगत आज कुंजन पोरी कौन प्रवीण कौन पहचाने,होवत बलिहारी"भानुजा" तोरी माँगी भीख गुरु कृपाबल,देखत यह छवि अँखिया मोरी भानुजा✍️✍️✍️

लाड़

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लाड़ लड़ावत गुरु सखी मोरी, गुरुदेव अंक बैठी जोरी विभिन्न प्रकार भोग बनो गुरुदेव पवावत किशोर किशोरी किशोरी मेरी बहुत ही भोरी मंद मंद मुस्कावत थोरी थोरी या नटखट की पार परे ना खावत माखन चोरी चोरी गुरुदेव अगूँरिया पकर निधिवन नाचत आज मोरी पौरी गुरुदेव प्रसन्नता कहत न बनत मन भानु सर्वस प्यारी किशोरी

3.7.23 गुरुपूर्णिमा ।।।।।।👍

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कितना टूट कर बेहिसाब हँसती हू तेरी मेहरबानी से यह हुनर भी सीखी हू कहते हैं लोग वो मुझे भूल गया हैं देखा हैं मैंने उसे मेरा लिखा गीत गुनगुनाते हुए मेरी ख़ामोशी.. और उसकी नजर आज भी वैसी है बस खामोश हुए हैं तो उसके वो बोलते लव। बहुत कुछ कहना चाहती हैं उसकी नजरें उसे देख तभी ये आँखे बरसती हैं  कांधे से गिरे मेरे हर एक दुपट्टे को आज भी उसकी निगाहें सम्हाल देती हैं मुझें देख आज भी उसका ठहर जाना कौन कहता हैं वो आगे बढ़ गया हैं

चरण के चेरे

  संकट ने जब घेर लिया तब,सीने से अपने लगा लिया दुनिया ने मुख फेरा मुझ से ,चरणों मैं अपने बैठा लिया स्वप्न में बहा पकड़कर , सुलभ मार्ग मुझे दिखला दिया हर समय साथ है मेरे गुरुवर ,दुनिया को यह बतला दिया कृपापात्र हूँ आपका गुरुवर,संकट ने फिर घेर लिया कृपा कर मेरे गुरुवर ने प्रियाशु को चरणों से लगा लिया प्रियांशु ✍️✍️✍️

मेरे जैसा

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देखती रही जब मैं आईने को मुझे खुद जैसा कोई दिखा। जो मेरे रोने पर रोता मेरे हंसने पर हंस जाता बरसों बाद कोई तो मुझे मेरे जैसा दिखा।

बन पाते अगर

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बन पाते अगर राम तुम ... सीता सा मन मैं भी कर लेती रह पाते तुम जो एक के.... वन में भानु मैं भी रह लेती अगर बन पाते तुम श्याम... मीरा तो मैं भी रह लेती।

गुरु देव

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                  "गुरुदेव तुम ही हो" तुम ही तो तन मन जीवन तुम ही हो मेरे तो गुरुदेव प्यारे आधार तुम ही हो तुम ही खुशी मेरी तुम ही तो जीवन  सांसो की माला पर सुमिरन तुम ही हो कैसे हैं वो भगवान देखे कभी ना मेरे तो नटवर नागर तुम ही हो सुख में भी दुख में भी तेरा सहारा इस नन्हे से जीवन की आशा तुम ही हो पावन किया भानु के मन का जो कोना  अब मन मंदिर के स्वामी तुम ही हो चाकर बनाया खुद का जो मुझको कहो हर जन्म के मालिक तुम ही हो भानुजा शर्मा✍️✍️ शुक निकुंज करौली