मैं हारी गोपाल



अब मैं हारी गोपाल
काम क्रोध मद लोभ सताई अब तारो गोपाल।।
जब ते बैठी संतन के ढिंग इत उत डोले लाल।।
जग की सताई कित में जासी चरण परु नंदलाल।।
लोग हँसत दिन रैन में रोऊ सम्मुख यशोदा लाल।।
जब आवत प्यारी संग में "भानु" अखियां होत निहाल।।

भानुजा शर्मा✍️✍️✍️


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