लाड़

लाड़ लड़ावत गुरु सखी मोरी, गुरुदेव अंक बैठी जोरी
विभिन्न प्रकार भोग बनो गुरुदेव पवावत किशोर किशोरी

किशोरी मेरी बहुत ही भोरी मंद मंद मुस्कावत थोरी थोरी
या नटखट की पार परे ना खावत माखन चोरी चोरी

गुरुदेव अगूँरिया पकर निधिवन नाचत आज मोरी पौरी
गुरुदेव प्रसन्नता कहत न बनत मन भानु सर्वस प्यारी किशोरी


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