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Showing posts from September, 2021

नंदगाँव

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नंदगाँव बनी साँझी, पूजन साखियाँ आई फूलन कुंज सजाई सखियाँ, पूजत मन हुलसाई का हित पूजी तुम साँझी, हम कौ दैओ बताई नंद गाँव को लला हैं प्यारो तापे सभई प्राण लुटाई साँझी पूजन आई राधिका ,सखी कुसुम मार्ग सजाई जहाँ पग धरत स्वामिनी,प्यारो तहाँ नैन बिझाई नंदगांव में या लीला कौ,गोपी अद्भुत साँझी बनाई फूल सुगंध कुमकुम चढ़ावत,आरती भानुजा सखी गाई भानुजा शर्मा(शुक निकुंज)

बरसानो

बरसाने की गली रंगीली जहाँ खेलत राधा प्यारी शुकमुनि ध्यान धरत जागो वो ब्रज ठाकुराईन प्यारी त्रिलोकीनाथ जाकी करत चाकरी वो हैं बरसाने की दुलारी तहाँ खेलत रज में प्यारी भानुजा वो रज शीश हमारी। भानुजा शर्मा (शुक निकुंज)

कामवन

कामदेव को मद जब आयो रास श्याम कामवन रचायो वेणु बजाये बुलाई हैं गोपी रास स्वामिनी प्रेम बुलायो शरद ऋतु की शरद हैं रात्रि कामदेव काम बाण चलायो अनुपम जोरी कृष्ण संग गोपी  गरवईयाँ डार रास रचायो देख चकित भयो कामदेव यहाँ कामदेव शरण में आयो देखत रास भानुजा कामवन तन मन फूले न समायो भानुजा शर्मा (शुक निकुंज)

किस डगर

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              "खबर मिली" जाने किस राह पर मैं निकल पड़ी मेरी ना मुझको खबर मिली। हूँ गुमशुदा कहते हैं लोग क्या इस बात की तुझे ख़बर पड़ी। मेरी हर बात पहुंचती हैं तुम तक तेरी बेरुखी की क्या खबर मिली। देखा हैं अरसों बाद आईना भानु आज मेरी ही मुझ पर नजर पड़ी। भानुजा शर्मा

साँझी

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गोवर्धन साँझी परम सुखदाई प्यारी की सखी देखो चुन चुन सुमन हैं लाई वारो मदना लै गोवर्धन ठाड़ो, शोभा बरन न जाई जाकौ रूप कहै न बनत मन,आज ही परो दिखाई देखत किशोरी तिरझे नैन सो,पलकन भार उठाई बृजवासी सब देखै चकित से,नैक नैक जोर लगाई साँझी पूजत चतुर सहेली,काहा माँगो देओ बताई काहे छुपावत भानुजा सखी ,मन की दोऊ बताई भानुजा शर्मा( शुक निकुंज)

साँझी पुष्पन ढेर लगाये

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निकुंज महल की भित्ति रँगीली, अनोखी साँझी सजाई बनाई हैं सहचरी अद्भुद साँझी पुष्पण ढेर लगाई जब मान करत हैं प्यारी, ऐसी छवि दरसाई  मनाये प्यारो रसभरी अखियन सो प्यारी मन मुसकाई भर अंक किशोरी माधव को गल हस्त कमल माल पहराई। भानुजा होवत अधीर देख युगल को गुरु चरण सेवा सो ये सुख पाई। भानुजा✍️✍️

साँझी यमुना पुलिन

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दरसाई साँझी अनोखी जहां यमुना पुलिन तन आप। चुन रहे कमल कृष्ण वनमाली विराजी सिंहासन आप।। एक एक कमल प्यारो चरनन वारै और पुलकित आप। श्याम अधर बंसी हैं धारी हस्त कमल वीणा लिये आप।। सखी निर्मित खस कुटिया तहाँ विराजी लला संग आप। अद्भुत सघन सुगंध बरसे चौसर खेलत श्यामाजू आप।। शुकदेव सुनावे कृष्ण कथा को सुन मगन भानुजा आप। अहो भाग्य गुरुदेव कृपा सो देखी माधव संग आप। भानुजा✍️✍️✍️

साँझी भाव

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बनावत साँझी निकुंज में साखियाँ  दिखावत मन के भाव बैठाये प्रियतम चरणन में और सिंहासन प्यारीजू आप कुमकुम कुसुम श्रृंगार न्यारो चुनर कनक जराव निज महल विलसत है दोऊ  आज भित्ति चित्र अनोखे भाव भानुजा

✍️✍️✍️✍️केली विलास

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लाड़ लड़ावत प्यारी कोमल सेज बनाये करत विलास कुसुम सेज पे शोभा वरण ना जाये। मोतियन चन्द्रका नीली चुनर प्रिया मन भाये उरझत कारी कंचुकि प्यारो राधिका इत उत नैन ढ़राये। अंग से अंग लगावत प्यारो हिये उमंग ना समाये करत केली विलास निकुंजन किशोरी हरष हरष हरषाये। जागे भाग्य गुरुदेव कृपा सो कहत ना बनत यह छवि भानु जब हिये युगल समाये। भानुजा✍️✍️✍️
कृष्ण प्राण बल्लभा,निकुंज की सर्वेश्वरी,मेरे ठाकुर श्री निधिवन की प्राण धन किशोर राधा प्यारी के प्राकट्य उत्सव की सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं।🙏😍 तडित्–सुवर्ण–चम्पक –प्रदीप्त–गौर–विग्रहे मुख–प्रभा–परास्त–कोटि–शारदेन्दुमण्डले । विचित्र-चित्र सञ्चरच्चकोर-शाव-लोचने कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥ भानुजा शर्मा🙏🙏

पतंग

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          "   पतंग"  एक कटती पतंग सी उड़ती जा रही थी कभी किसी के हाथ तो कभी किसी के हाथ डोर थमती जा रही थी। भूल चुकी थी खुद के अस्तित्व को एक अपनी नई पहचान खोजने जा रही थी। टूट कर डाली से सूखे पत्ते की तरह इस जमीन में मिलती जा रही थी हँस रही थी मुझ पर वो नई कोपलें या व्यंग्य किए जा रही थी। छुपा कर खुद के अस्तित्व को  एक नन्हे से पौधे को वृक्ष बनाए जा रही थीं काकों के इस झुंड में खोये जा रही थी हंसो से उस श्वेत मन को जाने कहाँ मेला किये जा रही थी भूल गया था मेरा मन मोती चुगना जाने कैसे ककों के साथ कीड़े खाए जा रही थी कैसे निकलू खुद को मतलबी दुनिया से भानु  बेमतलब रिश्ते निभाए जा रही थी नहीं आता था मुझे दिखावा करना ना जाने अब कैसे जमाने के आगे हंसी जा रही थी भूलकर कैसे मैं खुद को  बेमतलब बेवज़ह बस जिये जा रही थी भानुजा शर्मा   करौली (राजस्थान)