कामवन

कामदेव को मद जब आयो
रास श्याम कामवन रचायो

वेणु बजाये बुलाई हैं गोपी
रास स्वामिनी प्रेम बुलायो

शरद ऋतु की शरद हैं रात्रि
कामदेव काम बाण चलायो

अनुपम जोरी कृष्ण संग गोपी
 गरवईयाँ डार रास रचायो

देख चकित भयो कामदेव
यहाँ कामदेव शरण में आयो

देखत रास भानुजा कामवन
तन मन फूले न समायो

भानुजा शर्मा
(शुक निकुंज)

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