बरसानो

बरसाने की गली रंगीली
जहाँ खेलत राधा प्यारी

शुकमुनि ध्यान धरत जागो
वो ब्रज ठाकुराईन प्यारी

त्रिलोकीनाथ जाकी करत चाकरी
वो हैं बरसाने की दुलारी

तहाँ खेलत रज में प्यारी
भानुजा वो रज शीश हमारी।

भानुजा शर्मा
(शुक निकुंज)



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