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Showing posts from May, 2021

तेरी बरसात

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              सुकून है मुझे मेरी बात तुम तक पहुंचती तो है क़लम हो भलेही मेरी, लिखती तुम्हें तो है। तेरी यादों का सिलसिला थमता कहां है सुकून है मुझे प्रिया हिचकी आती तो है। चलती हैं मेरे यहां बवंडर और आंधियां  तेरे यहां सुकून की बरसात होती तो हैं। हूँ मैं मशहूर मेरे ही घर मैं तेरे नाम से भानु खुदा का शुक्र हैं तुझसे तेरी पहचान तो है प्रिया शुक निकुंज शुक बिहार कॉलोनी करौली

"जेठ की दुपहरी"

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        "जेठ  दुपहरी" जेठ की दुपहरी तुम सावन की मैं हवा तपती गर्मी में मैं शीतल फुहार हूं। सूर्य तुम मै धरा तपती हूँ मैं सदा फिर भी शीतलता का मैं अभिमान हूं। खाली तुम  बादल मैं लहराती घटा तेरे टकरार  से मैं बह जाती हूं। तू हैं समुंद्र भारी मैं हूं नदी बेचारी तुझ में मिलकर ख़ुद को भूल जाती हूं छोटी मैं फुलवारी  तुम तो वृक्ष भारी तेरे आगे भानू मैं झुक जाती हूं। भानुजा शर्मा

रूप के विवर्तन

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श्याम श्यामा जू भये भाव विभोर कृष्ण स्वयं को राधा मानत  राधा स्वयं को नंदकिशोर। कृष्ण के हृदय राधा बसत हैं राधा के हृदय माखन चोर। श्याम श्यामा जू भये भावविभोर.... श्यामसुंदर को चुनरी उड़ाई राधा तन पीतांबर कोर। श्याम श्यामा जू भये भावविभोर.... श्याम सुंदर की बेनी गुथाई राधा की बांधी जुड़ा रेशम डोर। श्याम श्यामा जू भये भावविभोर.... श्याम सुंदर के शीश चंद्रका  राधा मुकुट पाखन मोर। श्याम श्यामा जू भये भावविभोर.... श्याम की मुरली राधा अधर पे श्याम हाथन में वीणा की छोर। श्याम श्यामा जू भये भावविभोर.... राधा तन फूलन की लड़ियां माधव तन आभूषण चहु ओर। श्याम श्यामा जू भये भावविभोर. सखी सवरी मंद मुस्काये 'भानुजा'देखत प्रिया प्रियतम की ओर। श्याम श्यामा जू भये भावविभोर.... भानुजा✍️✍️🙏

सिंगार करत घनश्याम राधे को

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 श्रृंगार करत माधव राधे को सर्वस्व बारे प्राण प्यारी को चरणन महावर श्याम लगाये,  नैनन जल सो चरण घुलाये। पकड़ चरण हिये से लगाये चरण चिन्ह हृदय पे बसाये।। शीश झुकाए नूपुर पहनाये अंगुरी पोरन चित्र बनाये। भाव पुष्प अर्पण कर भानु राधे राधे प्रेम सो गाये।। कबहु कपोलन चित्र बनाये कबहु मलय अधर पर लाली। अधर देख  विभोर भयो है यहां लटकत बेसर प्यारी।। हाथन मेहंदी श्याम लगाये श्याम मुद्रिका श्याम पहराये। रंग रंगीली चूड़ी पहनाई राधा प्यारी मंद मुस्काई।।  नथवारी कू नथ हैं धराई शीश चंद्रिका श्याम खूब सजाई। बेनी प्यारी अद्भुत केसर रचना चंपा माला गले पहनाई।। नैनन सो जल ना रुकत श्याम को होवत पुलकित देखत भाम को। रूप ना वर्णन होये घनश्याम प्राण को श्रृंगार करत घनश्याम प्राण को।। भानुजा शर्मा✍️✍️✍️🙏🙏

अजीब कहानी💐

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मेरी भी ना अजीब कहानी है जिस बात से परेशां है दिल वो तेरी मेहरबानी है आज भी मन में उलझने बहुत सारी हैं फिर भी तेरी यादें सब पर भारी है। क्या पहुंचता नहीं मेरी यादों का तूफां तुम तक क्या अभी भी तेरी गली में खामोशी जारी है।। अब नहीं बरसते ये बादल आंखों से मन के दरिया में अश्कों का उफान जारी है। नहीं निकलती इन लवों से सिसकियां..... लगता हैं जख्मों से जान पहचान पुरानी है। भानुजा✍️✍️✍️

उसका दीदार

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जिनका दीदार अक्सर करती थी उनसे बातें ना कर पाती हूँ जिनको देख कर मिलता था सुकून मुझें उनसे ख्वाबों में मिल आती हूँ। पागलपन  तो देखिए मेरा  नंबर डायल करके उनका अपने फोन में भूल जाने का बहाना बनाती हूँ। कहते हैं मेरे अपने  हजारों नुक्स हैं तुम में ज़रा ठहरो  आज मैं उन्हें भी आईना दिखला आती हूं। चलो छोड़ो फिर आज अपनी बात करती हूं हमारे रिश्ते को मैं सरेआम करती हूँ कभी ख्वाब में थाम लो तुम मेरा हाथ सात फेरों की ना अब मैं बात करती हूं। धीरे-धीरे थम सा गया है वो तूफा भी ना अब मैं खुद से बात करती हूं ना मैं तुमसे बात करती हूँ हर पल सोचता है  दिल तुमको इनका अहसान भी तुम्हे ना करती हूं।  तुमसे रूठ कर मैं अक्सर  खुद को मनाने की कोशिश करती हूं।।

श्रृंगार तिहारो

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कब  करिहो श्रृंगार तिहारो, देखें चकित कोई बंसी वारो। कबहू केसर तिलक रचाऊं, कबहु कपोलन चित्र बनाऊ। कबहु नैनन काजर डारो,कब करिहो श्रृंगार तिहारो।। कबहुं अधर पान की लाली मलय सुगंध विमोहन वारी। कुमकुम लेपन दोउ कुच धारो,  कब करिहो श्रृंगार तिहारो।। .चरनन बीच महावर रचना,अगुरी पोरन चित्रित करना। इन पद कमलन सर्वस्व बारो,कब करिहो श्रृंगार तिहारो।। 'भानु प्रिया' सेवा सुख पाऊं स्वामिनी जी की चेरी कहाऊ। गुरु सखी संग निकुंज पधारु,कब करिहो श्रृंगार तिहारो।।

बारिश

बारिश की बूंदों में अजीब सी कशिश हैं जो मुझे मुझसा नहीं छोड़ती। अक्सर  तुझसा कर देती है

रूप वर्णन

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घनश्याम से ये घन लगे घन लगे घनश्याम। किशोरी की उलझी लटन में उलझे है घनश्याम। झीनी प्यारी चुनरियां वामे छुपो हैं चाँद  मुख पे बिंदी ऐसे चमके जामे अटके सबके प्राण। कमल की कली से नैना उलझें यामें श्याम की रैना बेसर जैसे जादू को टोना बिछिया जैसे चांद खिलौना। पायल में घुंघरू ऐसे सोहे जैसे रसिक जन प्यारे वर्णन ना होये मुखारविंद को यामें दिखे मोये घनश्याम हमारे। भानुजा शर्मा✍️✍️✍️

पुलिन तन

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बैठी पुलिन तन श्यामा प्यारी,  उत से आए कृष्ण मुरारी। देखत रूप राधा मोहन को मुस्काई है मेरी राधा प्यारी।। शीतल मंद पवन चलत प्यारी चरण धुलावत है बनवारी। लेत चरणामृत श्याम राधा को सकुचावत हैं प्राणन प्यारी।। एकटक देखत श्याम राधे को जैसे बसावत हो नैनन में प्यारी। बैरन लगत हैं आज पलकें जब निरखत हैं नित्य दुल्हन प्यारी।। कोमल कमल चुनत प्यारो बनाई है आज माला प्यारी शीश नवाए पनावत माला देखत हैं भानु  सखीजन सारी। भानुजा शर्मा✍️✍️