पुलिन तन
बैठी पुलिन तन श्यामा प्यारी,
उत से आए कृष्ण मुरारी।
देखत रूप राधा मोहन को
मुस्काई है मेरी राधा प्यारी।।
शीतल मंद पवन चलत प्यारी
चरण धुलावत है बनवारी।
लेत चरणामृत श्याम राधा को
सकुचावत हैं प्राणन प्यारी।।
एकटक देखत श्याम राधे को
जैसे बसावत हो नैनन में प्यारी।
बैरन लगत हैं आज पलकें
जब निरखत हैं नित्य दुल्हन प्यारी।।
कोमल कमल चुनत प्यारो
बनाई है आज माला प्यारी
शीश नवाए पनावत माला
देखत हैं भानु सखीजन सारी।
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