रूप वर्णन

घनश्याम से ये घन लगे
घन लगे घनश्याम।
किशोरी की उलझी लटन में
उलझे है घनश्याम।

झीनी प्यारी चुनरियां
वामे छुपो हैं चाँद
 मुख पे बिंदी ऐसे चमके
जामे अटके सबके प्राण।

कमल की कली से नैना
उलझें यामें श्याम की रैना
बेसर जैसे जादू को टोना
बिछिया जैसे चांद खिलौना।

पायल में घुंघरू ऐसे सोहे
जैसे रसिक जन प्यारे
वर्णन ना होये मुखारविंद को
यामें दिखे मोये घनश्याम हमारे।

भानुजा शर्मा✍️✍️✍️



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