उसका दीदार
जिनका दीदार अक्सर करती थी
उनसे बातें ना कर पाती हूँ
जिनको देख कर मिलता था सुकून मुझें
उनसे ख्वाबों में मिल आती हूँ।
पागलपन तो देखिए मेरा
नंबर डायल करके उनका अपने फोन में
भूल जाने का बहाना बनाती हूँ।
कहते हैं मेरे अपने
हजारों नुक्स हैं तुम में ज़रा ठहरो
आज मैं उन्हें भी आईना दिखला आती हूं।
चलो छोड़ो फिर आज अपनी बात करती हूं
हमारे रिश्ते को मैं सरेआम करती हूँ
कभी ख्वाब में थाम लो तुम मेरा हाथ
सात फेरों की ना अब मैं बात करती हूं।
धीरे-धीरे थम सा गया है वो तूफा भी
ना अब मैं खुद से बात करती हूं
ना मैं तुमसे बात करती हूँ
हर पल सोचता है दिल तुमको
इनका अहसान भी तुम्हे ना करती हूं।
तुमसे रूठ कर मैं अक्सर
खुद को मनाने की कोशिश करती हूं।।
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