Posts

Showing posts from September, 2023

नंद गांव

नंदगांव बरसाने की डगर साँझी मध्य सजाई दोऊ गाँवन की सहचरी संग साँझी पूजत हरषाई कुँज निकुंज विलसत रहे दोउ सेवक मन सुखदाई तुम पूजै तो हम पूजै प्रीत होड़ सखियन मनभाई बरसाने की गोपी माँगत अमर सुहाग प्रिया जू नंदगांव की गोपी माँगत चिरजीवो कृष्ण कन्हाई देख सग सखियन भाव भानुजा युगल जोरी मुसकाई भानुजा शर्मा(शुक निकुंज)

मधुवन

आज अनोखी मधुवन साँझी सजाई कहूं तालवन,कहूं कामवन कुँज कुँज कुसुम बिछाई सखियां निरखत रूप प्यारी कौ श्याम देत पलक बिछाई बहुरंगे कुसुम लाई सखी साँझी कौ तालवन दियो बनाई का हित पूजौं तुम सग साँझी सखी हमकूँ देऊ बताई साँझी देत प्रेंम सुख'भानुजा' मदन मोहन देत मिलाई। भानुजा शर्मा(शुक निकुंज)

राधा कुंड

कुँज महल की भित्ति सखी राधा कुंड साँझी बनाई प्रिया प्रीतम दोऊ करत किलोल ऐसो चित्र बनाई टपकत बूँद बदन सो ऐसे कमल पंखुरी जल माई सहचरी गावत मंगल गीत माँगत कृष्ण कन्हाई राधाकुंड की लीला न्यारी भानुजा साँझी पूजत मन मुसकाई भानुजा शर्मा(शुक निकुंज)
अजी वृषभान की लली या सांवरिया सूं नेहरा लगाये के चली  1.अइयो रे अहीर के तू हमरी गली हा... चंदन छिडकूँ लाला तोरी पगड़ी 2.हा.. नेनो नेनो कजरा मुख भरो पान... वारी सी उमरिया राधे बड़ो ही गुमान। 3.हो वृन्दावन की कुँज गलिन में रचो है राधा....हो या ही धुन गावे स्वामी कानरदा।

21.9.23 ganesh utsab

इस दिल ने सब सहना सीख लिया है या देख कर झुठलाना सीख लिया हैं खुश होती हूँ अब तेरी खुशी में मैंने भी गम में मुस्कुराना सीख लिया हैं।

रोज

Image
घुटती हू हर रोज उस घुटन में जिसकी तुझको खबर नहीं मरती हूं बेमौत उस जगह जहाँ तेरी मुझ तक पहुंच नहीं। अलग हूं मैं कुछ औरों से इस बात की मेरे अपनों को खबर नहीं जिंदगी सिर्फ काटनी हैं तो कह दे मुझसे इन लबों से कभी शिकायत करुंगी ही नहीं। इस रूह का सौदा कर चुकी हूं बरसों पहले इस जिस्म में जान किसी को मिलेगी ही नहीं। बात-बात पर फिक्र करने वाली वो लड़की जिंदगी दाव पर हैं मगर कुछ कहेगी नहीं। भानुजा✍️

तेरी बरसात

Image
* यह बारिश की बूंदे कुछ तुम जैसी है  मुझे भिगोती तो है मेरे हाथ नहीं आती। रुक रुक कर बरसता है तू लगता है याद रह रह कर आती है सबको खुश देखने को आंसू छुपा लेती हैं ये धरा बरसात की आड़ में जी भर के रो लेती हैं हर रोज इंतजार करती हूं तेरा  तुझ में भीगकर अश्कों को पानी बनाने के लिए लगता है आसमान में भी यादों के बादल घूमड़ आए हैं  हे आसमान जरा तू भी रो ले जरा मैं भी रो लूं  तुझ पर काली अंधियारी का छाना और तेरा बरसना लगता है आज भी बाकी है वो तुझ में कहीं। कुछ तू भी मुझे जैसा है बादल कुछ आवारा सा कुछ ...अकेला.... भानुजा✍️✍️

कृष्ण

Image
सुन कान्हा हर बार तू आता है सबके लिए इस बार तू मेरे लिए आना। बहुत सारी खट्टी मीठी यादें समेटी है मैंने किसी और कि नहीं तुम मेरी सुनने के लिए आना। सजाया है तेरा घर मैंने तेरे ही लिए तू उसे घर में फिर से मुस्कुराने के लिए आना। बैठी है तेरी राधिका तेरे ही घर में सुन प्यार उस राधिका का इंतजार खत्म करने के लिए आना। चुराया था जो उन गोपियों का मन तूने  उन गोपियों का विरह तू दूर करने के लिए आना  आज भी खारा है तेरी ब्रज का पानी सुन लाडले उन बृजवासी के आंसू का मान रखने के लिए आना। अब की तू जो आएगा बसा लूंगी तुझे नैनों में कभी इन आंखों से भागना तू चाहे तो पलक बंद करने को आना। वह माखन मिश्री दूध का कटोरा वह गोपियों की छछिया भरी छाछ पर तेरा रूठना यह सब तो नहीं मेरे पास तू तेरे मन के भाव रखने के लिए आना। सुन कान्हा अब की जमाने के लिए नहीं बस अब की 'भानुजा' के लिए आना। अखंड ब्रह्मांड नायक, संत शिरोमणि, गोपीजन वल्लभ, व्रज की ठकुरानी के प्यारे,मेरे प्राण धन के जन्म उत्सव की खूब खूब बधाई। भानुजा शर्मा✍️✍️🙏🏼