तेरी बरसात
* यह बारिश की बूंदे कुछ तुम जैसी है
मुझे भिगोती तो है मेरे हाथ नहीं आती।
रुक रुक कर बरसता है तू
लगता है याद रह रह कर आती है
सबको खुश देखने को आंसू छुपा लेती हैं ये धरा
बरसात की आड़ में जी भर के रो लेती हैं
हर रोज इंतजार करती हूं तेरा
तुझ में भीगकर अश्कों को पानी बनाने के लिए
लगता है आसमान में भी यादों के बादल घूमड़ आए हैं
हे आसमान जरा तू भी रो ले जरा मैं भी रो लूं
तुझ पर काली अंधियारी का छाना और तेरा बरसना
लगता है आज भी बाकी है वो तुझ में कहीं।
कुछ तू भी मुझे जैसा है बादल
कुछ आवारा सा कुछ ...अकेला....
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