अजी वृषभान की लली या सांवरिया सूं नेहरा लगाये के चली
 1.अइयो रे अहीर के तू हमरी गली हा... चंदन छिडकूँ लाला तोरी पगड़ी
2.हा.. नेनो नेनो कजरा मुख भरो पान... वारी सी उमरिया राधे बड़ो ही गुमान।
3.हो वृन्दावन की कुँज गलिन में रचो है राधा....हो या ही धुन गावे स्वामी कानरदा।


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