कृष्ण
सुन कान्हा हर बार तू आता है सबके लिए
इस बार तू मेरे लिए आना।
बहुत सारी खट्टी मीठी यादें समेटी है मैंने
किसी और कि नहीं तुम मेरी सुनने के लिए आना।
सजाया है तेरा घर मैंने तेरे ही लिए
तू उसे घर में फिर से मुस्कुराने के लिए आना।
बैठी है तेरी राधिका तेरे ही घर में
सुन प्यार उस राधिका का इंतजार खत्म करने के लिए आना।
चुराया था जो उन गोपियों का मन तूने
उन गोपियों का विरह तू दूर करने के लिए आना
आज भी खारा है तेरी ब्रज का पानी
सुन लाडले उन बृजवासी के आंसू का मान रखने के लिए आना।
अब की तू जो आएगा बसा लूंगी तुझे नैनों में
कभी इन आंखों से भागना तू चाहे तो पलक बंद करने को आना।
वह माखन मिश्री दूध का कटोरा वह गोपियों की छछिया भरी छाछ पर तेरा रूठना
यह सब तो नहीं मेरे पास तू तेरे मन के भाव रखने के लिए आना।
सुन कान्हा अब की जमाने के लिए नहीं
बस अब की 'भानुजा' के लिए आना।
अखंड ब्रह्मांड नायक, संत शिरोमणि, गोपीजन वल्लभ,
व्रज की ठकुरानी के प्यारे,मेरे प्राण धन के जन्म उत्सव की खूब खूब बधाई।
भानुजा शर्मा✍️✍️🙏🏼
💗💗
ReplyDeleteThank you
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