अब की आन मिलो सजना तुम बिन सुनो मोरो फ़ागुन असूअन भीगें अंगना। देखत अखियां एक ही सपना अबके फ़ागुन संग मेरे सजना सग छोड़ मैं भीगूँ ,पी संग अंगना। सांची कहू अली हुरदंग ना सुहावे होरी के रंग मन ना भावे बाँट निहारत तोरी सजनी, जाये कहो ये पी के अंगना प्यारे'भान अली' की तनिक तो सोचो कब आओगे पाती लिख भेजों कैसे रहू श्यामा अब तुम बिन अंगना
हरी-भरी खुशहाल धरती पर आज विपदा की घड़ी भारी है चारों ओर आज लाशे .... और घर मे बैठी दुनिया सारी है। सुला देते हैं हम भूखे बच्चों को... फरमाइश वो भोजन की करते हैं तपते हैं दिन भर धूप में.. वो ए. सी में बैठे रहते हैं।। वो चलते हैं कारों से.. हम पैदल सफर तय करते हैं उठाता है बोझ मेरे घर का छोटा बच्चा भी उनके बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं। इतनी बड़ी इस महामारी में... परीक्षा वो करवाएंगे चाहे मर जाए दुनिया सारी पर पपेर वो लिखवाएगे। बहुत हुआ ये अंधा शासन.. कब अंधकार मिटायेंगे। आस लगाए बैठी भानु रामराज कब आएंगे।। भानुजा शर्मा
'अनकही बातें' जब थक हार जाती हूं दुनियां की बेमतलब की बातों से कही सुकून नहीं होता मेरे मन को बस तब सुनना चाहती हूँ... इधर आओ तुम्हें गले लगाता हू उनका इतना कहना मेरी सारी थकान मिटा देगा जब टूट जाती हैं मेरी हर एक उम्मीद कोई रास्ता नजर नही आता किसी से सहारे की क्या उम्मीद करनी हर शक़्स राहों में काटे बिछाता नजर आता है तब उनका एक शब्द ...... मैं तो हूँ साथ फ़िक्र क्यों करनी हैं मुझें उस अंधेरे में भी नई आस दे जायेगा कोई क़सम कोई वादा नही चाहिए मुझे ना ही मैं कहती हूं साथ जियो तुम मेरे ना सपना सजाती की बसा लो नई दुनिया मेरे साथ चाहती हूँ जिस पल कोई ना हो तुम्हारे साथ तो चले आना उस अल्लड़ सी लड़की के पास जो कभी बड़ी हुई ही नहीं। एक छोटा सा ख्वाब देखा था मैंने जो उनसे कभी कहा नही.... जब उदास हो मन मेरा... अपनी उदासी उनके साथ बाँटू जब भी बेमतलब रोने का मन हो मेरा तो जी भर के उनके कंधे पर सिर रख के रो लू... जानती हूँ ख्वाब के ख्वाब है ख्वाब ही रहेंगे। मेरी जादू की पुड़िया❣️
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