रोज
घुटती हू हर रोज उस घुटन में
जिसकी तुझको खबर नहीं
मरती हूं बेमौत उस जगह
जहाँ तेरी मुझ तक पहुंच नहीं।
अलग हूं मैं कुछ औरों से
इस बात की मेरे अपनों को खबर नहीं
जिंदगी सिर्फ काटनी हैं तो कह दे मुझसे
इन लबों से कभी शिकायत करुंगी ही नहीं।
इस रूह का सौदा कर चुकी हूं बरसों पहले
इस जिस्म में जान किसी को मिलेगी ही नहीं।
बात-बात पर फिक्र करने वाली वो लड़की
जिंदगी दाव पर हैं मगर कुछ कहेगी नहीं।
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