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Showing posts from June, 2021

"स्वामी जू"

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देखे री मेरी सखि दोऊ स्वामी जी की गोदन में घुटुअन घुटुअन चलत हैं प्यारों खेलतो पायों ब्रज की रजन में स्वामी हरिदास जू लाड़ लड़ावे पवावत प्रसाद हु गोदन में करत क्रीड़ा श्यामा प्यारी लाल विलोकत कुंजन में बलिहारी भानुजा ऐसे भक्तं पे जे भगवन को खेल ख़िलावत गोदन में देखे री मेरी सखि दोऊ स्वामी जी की गोदन में। भानुजा✍️✍️

उसकी यादों के बादल घिर घिर के आये

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उसकी यादों के  बादल घिर घिर के आये   उसके यादों की बरखा हमको सताए वो आये ना आये उसकी याद सताये। उसकी यादों के  बादल घिर घिर के आये  हर मर्तबा उसको बुलाये संदेशा हवाएं ले जाये  कब तक करे हम इंतजार उसी का.... ये आँखों का पानी हिलोरें हैं खाये।। उसकी यादों के  बादल घिर घिर के आये सूरज ढला अंधियारी है छाई यादों के आकाश में चांदनी गुनगुनाई कमबख्त चांद हमको सताये। उसकी यादों के  बादल घिर घिर के आये कोमल गुलाबों सा हमारा ये मन हैं यादों के अश्कों से कहां तक हम सींचे तुम बिन हमारा  गुलशन सा यह जीवन गुल हैं कि भानु   सूखते जाये। उसकी यादों के  बादल घिर घिर के आये।। भानुजा✍️✍️

जब भी

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बहुत होती हैं तेरी ज़रूरत तब जब लोगों से घर भरा भरा रहता हैं याद आती हैं जब भी हमें तेरी मन जब भरा भरा रहता हैं देखकर चाँद को हम अक्सर तेरे लौट आने की फ़रियाद करते हैं बरसेंगी एक दिन ख़ुदा की रहमत उस दिन का भानु हम इंतजार करते हैं ये ख़ामोश से बादल जब भी बरसते हैं आँखों से अश्क़ मेरे कब रुकते हैं जब आता हैं तेरा ख्याल भी मुझको चुपके से चाँद को छत पर बुलाया करते हैं। भानुजा✍️✍️

भजन( औरो के रंग क्या देखूं)

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औरों के रंग क्या देखूं मुझें तुमसे ना फ़ुरसत हैं नैनों में गुजरे ये रैना सपनों में मेरे भगवन हैं  कभी उलझे है ये सांसे कभी उलझें हैं ये नैना। तेरे बेसर की लटकन ने मुझ पे कर दिया टोना।। श्यामा के कोमल से चरण जो मेरा है जीवन धन। उनकी कृपा से चलता हैं मेरा छोटा सा जीवन।। मुझें दुनियां की ये चमके लग रही अब तो सब फ़ीकी तेरे नख शिख ज्योति से रोशन हैं मेरा ये जीवन।। भानुजा✍️✍️🙏

पतझड़

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 इस तपती धूप में तेरा इंतजार करती हूं तू जानता हैं तुझसे मोहब्बत बेहिसाब करती हूं। क्यों करता हैं तू अक्सर गैरों से बातें तेरा इंतजार दिन रात करती हूं।। कह कर गए थे उस पल जल्दी लौट के आऊंगा बरसों से उस पल का इंतजार मैं करती हूँ। इस तपन भरे मौसम में मेरे लिए बादल सा हैं तू मैं बिन मौसम जैसे बादल का इंतजार करती हूं।।  बिन तेरे पतझड़ मौसम सा हैं ये जीवन फिर भी जेठ में भानु सावन की आस करती हूं। मेरे छोटे से गुलशन का सदाबहार हैं तू तू नहीं है फिर भी तेरी तलाश करती हूं।। भानुप्रिया

नही जानती

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ये जहन किस सोच में हैं नही जानती। आँखों से अश्कों की बरसात क्यों नही जानती।। तल्ख मिजाज नहीं रहा तुम्हारा मुझसे। फिर भी मैं सबसे नाराज क्यों नही जानती।। बहुत खामोशी से गुजर रहा हैं ये वक्त मेरा। मन के एक कोने में शोर क्यो नही जानती।। भीगती हूँ बरसात में अश्क छुपाने को। ये आंखों से बरसात क्यों नहीं जानती।। ये चाँद को देख कर  मेरा यूंही मुस्काना  फिर गहरी सोच में खो जाना क्यों नही जानती। आसमाँ मे देख कर इस चाँदनी से चाँद को। चकोर की मोहब्बत मैं क्यों नही जानती।। भानुप्रिया✍️

🙏🙏🙏🙏

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वो जिस्म से हैं मेरा  पर बातें किसी और से करता हैं जितना देखा नही हैं मैंने खुद को इतना वो मुझें देखा करता हैं आज देख कर उसको किसी के साथ लव तो खामोश हैं मगर दिल ये रोता हैं क्या कमी रही थी उसका होने में फिर क्यों वो किसी और का होता हैं। उसकी बफादारी तो देखिए मेरे सब देखने के बाद भी  वो नजरें मिला के कहता हैं इस से बातें ही हैं ये मन तो तेरा है। कैसे समझाऊ इस नादान दिल को जो सब जानकर भी उसके लिए रोता हैं वो भानु वादे मुझसे करता हैं पर बाते सब से करता हैं