उसकी यादों के बादल घिर घिर के आये

उसकी यादों के  बादल घिर घिर के आये
 
उसके यादों की बरखा हमको सताए
वो आये ना आये उसकी याद सताये।
उसकी यादों के  बादल घिर घिर के आये

 हर मर्तबा उसको बुलाये संदेशा हवाएं ले जाये 
कब तक करे हम इंतजार उसी का....
ये आँखों का पानी हिलोरें हैं खाये।।
उसकी यादों के  बादल घिर घिर के आये

सूरज ढला अंधियारी है छाई
यादों के आकाश में चांदनी गुनगुनाई
कमबख्त चांद हमको सताये।
उसकी यादों के  बादल घिर घिर के आये

कोमल गुलाबों सा हमारा ये मन हैं
यादों के अश्कों से कहां तक हम सींचे
तुम बिन हमारा  गुलशन सा यह जीवन
गुल हैं कि भानु  सूखते जाये।

उसकी यादों के  बादल घिर घिर के आये।।

भानुजा✍️✍️



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