नही जानती
ये जहन किस सोच में हैं नही जानती।
आँखों से अश्कों की बरसात क्यों नही जानती।।
तल्ख मिजाज नहीं रहा तुम्हारा मुझसे।
फिर भी मैं सबसे नाराज क्यों नही जानती।।
बहुत खामोशी से गुजर रहा हैं ये वक्त मेरा।
मन के एक कोने में शोर क्यो नही जानती।।
भीगती हूँ बरसात में अश्क छुपाने को।
ये आंखों से बरसात क्यों नहीं जानती।।
ये चाँद को देख कर मेरा यूंही मुस्काना
फिर गहरी सोच में खो जाना क्यों नही जानती।
आसमाँ मे देख कर इस चाँदनी से चाँद को।
चकोर की मोहब्बत मैं क्यों नही जानती।।
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