जब भी

बहुत होती हैं तेरी ज़रूरत तब
जब लोगों से घर भरा भरा रहता हैं
याद आती हैं जब भी हमें तेरी
मन जब भरा भरा रहता हैं

देखकर चाँद को हम अक्सर
तेरे लौट आने की फ़रियाद करते हैं
बरसेंगी एक दिन ख़ुदा की रहमत
उस दिन का भानु हम इंतजार करते हैं


ये ख़ामोश से बादल जब भी बरसते हैं
आँखों से अश्क़ मेरे कब रुकते हैं
जब आता हैं तेरा ख्याल भी मुझको
चुपके से चाँद को छत पर बुलाया करते हैं।

भानुजा✍️✍️

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