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Showing posts from October, 2020

" भला कैसे भुला दूँ मैं"

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तेरी क्या क्या याद संभालू.... क्या क्या दफ़नादू मैं किस तरह तुझे भूला दूँ मैं। छोटी से छोटी यादें तेरी सजोके रखी है अपने कमरे में किस तरह भला उन्हें बिखरा दूँ मैं। तेरी यादों को सहेजने की इतन्हा तो देख तेरी दी चॉकलेट के रेपर भी सम्हाले हैं किस तरह भला उन्हें जला दूँ मैं। तेरा दिया हुआ वो लाल दुपट्टा आज भी रख रखा हैं ग्रन्थि बंधन को ओढ़ कर उसे तुझे कैसे भुला दूँ मैं। तेरे दी हुई वो सुर्ख़ लाली..... आज भी तेरी याद दिलाती हैं और तुम कहते हो भानु तुझे भुला दूँ मैं।             भानुजा शर्मा

अक्सर

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तुम्हे भूलने की बाते सोचती हूँ मैं अक्सर तुम्हारी यादों को दफ़न करने की सोचती हूँ अक्सर सच कहूं तो तुम्हें भूलने की ही बात भूल जाती हूं अक्सर। भानुजा शर्मा

बेटी

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        "बेटी" वो एक नवजात बच्ची को मारने की तरकीब देखते हैं और अपने बेटे के लिए सुंदर लड़की की तलाश करते हैं लड़की का पढ़ना ठीक नही यह कहकर अपनी बेटी से जमाने मे वो आज नौकर  बहु की तलाश करते हैं कशमकश तो देखिए छीन कर सपने अपनी ही बेटी के अब खुदा से उसकी खुशियों  की मांग करते हैं लड़की होगी तो गर्भ में ही मार देंगे ये कहने वाले आज नवरात्रि में...भानु कन्याओं की तलाश करते हैं।                   भानुजा शर्मा                     

" तन्हा हूं मैं"

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दुनियाँ की भीड़ में भी  जब कोई समझने वाला नही तो लगता है तन्हा हूँ मैं। अपने घर में अपनों के बीच जब सुकून नही मिलता तो लगता है तन्हा हूँ मैं बहला लेती हूँ मन अपना अपनी ही कलम से देख कोरे पन्नो को लगता हैं तन्हा हूँ मैं सिर्फ कहने को हमदर्द बनते हैं दोस्त मेरे भानु परेशान होती हूं तो लगता हैं तन्हा हूँ मैं हँसता देख कर खुद को पुरानी ही  तस्वीर में आज अकेला खुद को देख लगता हैं हूं तन्हा हूँ मैं         भानुजा शर्मा

" नदी बोली समंदर से"

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नदी बोली समंदर से मैं तेरे पास आई हूं मै तेरे लिए ही बाबुल का घर छोड़ आई हूँ। आसमाँ के साये में... चाँदनी के आँचल में... गहने आज चाँद तारो के पहन आई हूँ  कहीं टूटी कहीं फटी राहों से मैं गुजरी हूँ तेरे ही लिए मैं.... हर दर्द भूल आई हूँ। मैं आ मिली तुझ से खुद को भी भूल कर अब तू मेरा जीवन..... मैं तेरी ही परछाई हूँ   भानुजा शर्मा📝

" पैगाम आया है"

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चांद आज मेरे झरोखें पर आया है लगता हैं उनसे आज मिलकर आया है ये तारे भी आज कुछ गुफ़्तगू में लगे है लगता है शायद उनका कोई पैगाम आया है इस हवा में आज गुलाबी सी सर्दी है लगता है वो आज छत पर आया हैं। इस चांद में  भानु  आज अलग ही चमक है लगता है ये आज मेरे चाँद को देख आया हैं।       भानुजा शर्मा📝