" तन्हा हूं मैं"
दुनियाँ की भीड़ में भी
जब कोई समझने वाला नही
तो लगता है तन्हा हूँ मैं।
अपने घर में अपनों के बीच
जब सुकून नही मिलता
तो लगता है तन्हा हूँ मैं
बहला लेती हूँ मन अपना
अपनी ही कलम से
देख कोरे पन्नो को
लगता हैं तन्हा हूँ मैं
सिर्फ कहने को हमदर्द
बनते हैं दोस्त मेरे भानु
परेशान होती हूं तो
लगता हैं तन्हा हूँ मैं
हँसता देख कर खुद को
पुरानी ही तस्वीर में
आज अकेला खुद को देख
लगता हैं हूं तन्हा हूँ मैं
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