" भला कैसे भुला दूँ मैं"

तेरी क्या क्या याद संभालू....
क्या क्या दफ़नादू मैं
किस तरह तुझे भूला दूँ मैं।

छोटी से छोटी यादें तेरी
सजोके रखी है अपने कमरे में
किस तरह भला उन्हें बिखरा दूँ मैं।

तेरी यादों को सहेजने की इतन्हा तो देख
तेरी दी चॉकलेट के रेपर भी सम्हाले हैं
किस तरह भला उन्हें जला दूँ मैं।


तेरा दिया हुआ वो लाल दुपट्टा
आज भी रख रखा हैं ग्रन्थि बंधन को
ओढ़ कर उसे तुझे कैसे भुला दूँ मैं।

तेरे दी हुई वो सुर्ख़ लाली.....
आज भी तेरी याद दिलाती हैं
और तुम कहते हो भानु तुझे भुला दूँ मैं।

            भानुजा शर्मा



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