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Showing posts from August, 2023
सारी चिंताओ और पीड़ाओ,पाप कर्मों का उसी क्षण विसर्जन हो जाता हैं जब एक संत का हाथ किसी भक्त के शीश पर होता हैं।🙏

राखी

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खट्टी मीठी जाने कितनी यादें है तुझसे प्यार के बंधन में तू मुझे बांध लेता है लड़खड़ाते हैं जब भी क़दम मेरे मेरे भाई तू मुझें थाम लेता हैं जब कह नही पाती किसी से कुछ सारी पीड़ाए तू मेरी जान लेता हैं उलझनें लगती है मेरे जीवन की गुत्थी तब मेरे बिना कहे तू सुलझा देता हैं तेरी कलाई पर कच्चे धागों का पक्का बन्धन दुनियां ख़िलाफ़ हो फिर भी मेरा साथ देता हैं इस जहाँ की सारी दौलत सारी खुशियां न्यौछावर जब मेरा भाई मेरे साथ रहता हैं। रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं मेरे लाड़ले😍 ❤️❤️❣️
समझ से परे है मेरी समझ उलझी हूं कहां यह ना मुझको खबर खुद का खुद से द्वंद चल रहा  मन क्यों मेरा मौन चल रहा चली जा रही किस डगर पर अब मैं क्यों ना मुझे भगवान मिल रहा सब लूटने पर बेचैनी क्यों है  मन ख़ाक हैं क्यों न ख़ाक मिल रहा तप्त ताप मन अब पिघल रहा  ज्वालामुखी सा दंश दे रहा छा रही हैं चहु और अंधियारी भानु को ना सूर्य मिल रहा शीतलता की खोज में 'भानु' मन मेरा दर दर फिर रहा।

लड़ रही हूँ मैं

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ख़ुद से खुद को बदल रही हूँ मैं तेरी ख़ातिर ही तो सब से लड़ रही हूँ मैं नादानियां अब कम कर रही हूँ मैं अपनी उम्र से बड़ी बन रही हूँ मैं दुनियां के साथ रहकर भी  खुद को अलग कर रही हूँ मैं नन्नी बूंद सी मिली है ये जिंदगी सागर सी यादों को समेटे जा रही हूँ मैं मुझमें कैद है कही तेरी तस्बीर आईने में देख बस जिये जा रही हूँ मैं आज सच कहूँ परेशान हूँ बेंतीहा तेरी गुरुर के ख़ातिर सब सहे जा रही हूँ मैं भानुजा शर्मा

हम होंगे

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तुझे चाहने वाले हज़ारो होंगे पर हम जैसे सिर्फ हम होंगे होंगे मिलने वाले बहुत तेरे सुन हम दर्द सिर्फ़ हम होंगे कहते थे दुःख बाँटोगे मेरा तेरे दुख में रोने वाले सिर्फ़ हम होंगे होगा बहुत नाज़ुक तेरा हम सफर तेरी सिसकियों में शामिल सिर्फ़ हम होंगे कद एक जैसा हैं तुम दोनों का पर तेरे आगे झुकने वाले सिर्फ़ हम होंगे

"कौ पूछूं बिन द्वारण की"

कौ पूछूँ बिन द्वारण की,चंद्र लगे किवाड़न की रज ना ही तहाँ,बिखरत मोती खदानन की एक लता तहाँ पुष्प बहुरंगे, ऋतु प्यारी मन भावन की देखी ना कहूं महल अटारी,कुँज लगे मणि माणिक की।

सज रही प्यारी

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सजाए रहे नंदलाल,सज रही है राधा प्यारी सुलझावत अलकावली निराली,सकुचावत वृषभानु दुलारी प्यारो मोर पंख शीश ले अपने धरावत शीश गोपिन प्यारी पीले पीतांबर की चुनरी ,नीली उड़ाये दई सारी खोल के लटकन अपने मुकुट की,भराये दई माँग ब्रज राज दुलारी

8 Aug divya bhabhi

क्या दुआ करू तुम्हारे लिए किसी के लिए तुम ख़ुद दुआ हो बातें करती हो ऐसे सबसे जैसे सब का तुम्हें सब पता हो दर्द में भी मुस्कुराना तुम से सीखा जैसे अश्कों के दुआर पर ताला लगा हो हर रिश्ते को तुम ने दिल से निभाया मानो उस भगवान ने ही हर रूप में ढाला हो जब से मिले हो हर बक्त सम्हाला जैसे मेरे लिए बड़ी बहन तुम्हे बनाया हो पुकारते हैं सब तुम्हें 'नेहा' कह कर जैसे अपना प्यार,नेह सब पर बरसाया हो जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं ❤️ ठाकुरजी तुम्हें दुनियाँ की सारी खुशियाँ दे❤️❤️🎂🎂🎂🙏 भानुजा शर्मा