सारी चिंताओ और पीड़ाओ,पाप कर्मों का उसी क्षण विसर्जन हो जाता हैं जब एक संत का हाथ किसी भक्त के शीश पर होता हैं।🙏
आन मिलो सजना
अब की आन मिलो सजना तुम बिन सुनो मोरो फ़ागुन असूअन भीगें अंगना। देखत अखियां एक ही सपना अबके फ़ागुन संग मेरे सजना सग छोड़ मैं भीगूँ ,पी संग अंगना। सांची कहू अली हुरदंग ना सुहावे होरी के रंग मन ना भावे बाँट निहारत तोरी सजनी, जाये कहो ये पी के अंगना प्यारे'भान अली' की तनिक तो सोचो कब आओगे पाती लिख भेजों कैसे रहू श्यामा अब तुम बिन अंगना
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