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Showing posts from August, 2021

जन्म उत्सब

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अब तो आजा मेरे मनमोहन बृजवासी बाट निहारे हैं गईया भी मुड मुड कर देखे कहा छुपे प्राणधन हमारे हैं नंदबाबा अखियां मूँद है बैठे बृजवासी नाचे गाए हैं कब लोगे  जन्म कन्हैया हम इसी बाट में ठाड़े हैं।। मंद मंद ये बरखा बरसे शीतल  पवन सुहानी है हरियाली चहुँ ओर हैं लाला कमल खिले बहु सारे हैं अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र जन्मे नंद दुलारे हैं देवगन सब धरा पे उतरे नाचे धरती अंबर प्यारे हैं राधा प्यारी के तुम प्यारे गुरुवर के तुम आँखन तारे तुम ही हो ब्रज के उजियारे भानुजा के प्राणों से प्यारे मेरे प्राणधन प्यारी वृषभानु दुलारी के प्रियतम   घनश्याम के जन्म उत्सव की बधाई एवं शुभकामनाएं  भानुजा✍️✍️

महाकाल

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तू ही शक्ति तू ही भक्ति ,अजर अमर अविनाशी है तू महाकाल तू ही भूतेश्वर,तू ही गोपीनाथ बृजवासी है।  तू ही गंगाधर तू जटाधारी,तू ही मंगल कर्ता हैं  तू ही महेश्वर तू ही अंबिकानाथ,तू ही शीश चंद्र धारी हैं। तू ही सोमसूर्याग्निलोचन तू ही भस्म धारी है तू ही विषधारी तू ही सदा शिव तू ही अकाल मृत्यु नाशी हैं हे दयानिधि हे कृपानिधि, अब तो तुम सहाय करो मझधार में भानुजा भवसागर से पार करो।   भानुजा✍️

मन मंदिर

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मेघा से मल्हार हैं सीखी  पेड़ों से श्रृंगार। कैसे करूं अब जग से बातें जब तुम से  की हैं बात।। देखा है मैंने रंग सांवरा और स्वर्ण की लाली। क्या देखूं अब रंग जगत के भानु ये कैसी प्रीति पाली।। सोहनी लगाती मन मंदिर में चरण रज शीश चढ़ाती। क्या गाऊं गुनगान जगत का अब तेरे ही गुण गाती।। भानुजा✍️

छोटी लड़की

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वो छोटी सी लड़की मोहोब्बत करने लगती हैं शक्ल देखती ना सूरत देखती बस जान छिड़कने लगतीं हैं। नहीं पसंद घरवालों को अक्सर उसका बतिया ना ना परवाह कर जमाने की वह उस से गुफ्तगू करने लगती है पसंद ना थी उसे मेहंदी महावर काजल बिंद  ओढ़ कर लाल चुनरी को आज वो सजने सँवरने लगती है । छोटी सी उम्र उसकि क्या ग़लत सही समझतीं छोड़ कर ज़माने की वो सब बातें वो मोहोब्बत करने लगती हैं भानुजा✍️

ख़ुद को

ख़ुद को समेट दिया है इस बडे से घर में इस छोटी सी दुनियां दुनियां के डर से बाहर नहीं निकली अब घर से इंसानो में ज़हर के डर से।