महाकाल
तू ही शक्ति तू ही भक्ति ,अजर अमर अविनाशी है
तू महाकाल तू ही भूतेश्वर,तू ही गोपीनाथ बृजवासी है।
तू ही गंगाधर तू जटाधारी,तू ही मंगल कर्ता हैं
तू ही महेश्वर तू ही अंबिकानाथ,तू ही शीश चंद्र धारी हैं।
तू ही सोमसूर्याग्निलोचन तू ही भस्म धारी है
तू ही विषधारी तू ही सदा शिव तू ही अकाल मृत्यु नाशी हैं
हे दयानिधि हे कृपानिधि, अब तो तुम सहाय करो
मझधार में भानुजा भवसागर से पार करो।
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