"सदक़ा उतारा कीजिए" यू ना वक़्त अपना जाया कीजिए इतने वक़्त में अपना सदक़ा उतारा कीजिए। गैरों की बातों पर गौर करके इल्जाम हम पर ना लगाया कीजिए फ़टी पैरहन सी हैं अब ये जिंदगी अब ना ' भानु' इसे सिया कीजिए वो अधूरे पढ़े मेरे खतों को कभी तो जनाब पढ़ लिया कीजिए। हर्फ़-ए-तमन्ना से ना बहलाया कीजिए कभी तो असलियत दिखाया कीजिए। ले जाकर हमकों हमारी ही महफ़िल में हमारे इल्म का ज़िक्र हमसे किया ना कीजिए भानुजा शर्मा करौली( राजस्थान) 1.पैरहन-पहनें जाना वाला कपड़ा 2. हर्फ़ ए तमन्ना- उम्मीद भरे शब्द 3 इल्म- विद्या ,कला 4 सदक़ा- उतारा