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Showing posts from January, 2021

नंदलाल

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बैठे क़दम तन दोऊ प्रिया प्रीतम तब केश सवालन लगे नंदलाल मुस्कावत किशोरी प्यारी आज बेनी गुहने लगे आज नंदलाला निरखत मुख जब स्वयं को किशोरी तब दिखत दर्पण में दिखत नंदलाल मयूर लावत चुन चुन पुष्प आज सजावत किशोरी कूँ नंदलाल

चरणामृत

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 यमुना के तट पर कान्हा  आज मुरली बाजवत हैं।  सुन मुरली की धुन राधे  कुंजन में बेसुध भागत हैं।। सूझत नटखट को नटखटपन  लाला किशोरी को सतावत हैं।   राधा राधा पुकारत बंसी सो...  श्याम सम्मुख ना आवत हैं।। जावन लगी निजकुंज किशोरी कान्हा तब भाग के आवत हैं।  छलिया अपनी सुध बुध भूलो  जब किशोरी मंद मुस्कावत हैं।। बैठे कुल पर युगल आज भानुजा चरणन पखारत हैं। लेत चरणामृत कृष्ण राधे को तब अखियां सो नीर बहावत हैं  निरखे सबरी संग सहेली  वृषभानु दुलारी सकुचावत हैं।  आये चरणामृत लियो गोपीजन   शुकदेव युगल दर्शन को आवत हैं।।

लड़की

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   "   लड़की होना आसान नही होता" पंख होकर भी उसके वह उड़ नहीं सकती  लड़की हो यह कहता हैं जमाना उससे   तुम लड़कों की बराबरी कर नहीं सकती। घर की इज्जत मान मर्यादा सम्मान सब तुमसे है ये सब बातें तुम अपने जहन में बैठा लो सर ढके बिन तुम घर से निकल नहीं सकती ये हर बात बात पर तुम्हारा सवाल करना बंद करो कम बोलना सीख लो इतना बोलना ठीक नही लड़की हो तुम खुल कर हँस नही सकती। ये  सात बजे के बाद बाद कोचिंग से आना   अब नहीं चलेगा तुम्हारा घर की इज्जत हो तुम बाहर घूम नही सकती। सपनें चाहें लाख देख लो तुम  मना नही हैं कुछ तुमसे पर हमसे पूछे बिन तुम कुछ कर नहीं सकती!   भानुजा शर्मा करौली(राजस्थान)

कोई तो बतलाये

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                "कोई तो बताये"  लोग कहते हैं वो कपड़े छोटे पहनतीं हैं इस लिए ही तो दरिंदगी होती हैं। कोई मुझें तो ये बतलाये भानु ...... दो साल की बेटी कब साड़ी पहनतीं हैं। तुम कहते हो रात को वो निकलती हैं यही उसकी सबसे बड़ी गलती हैं क्या बोलोगे साल भर की गुड़िया पर क्या वो भी अपने कदमों पर चलती हैं क्यों समुंदर से हदय उफनते हैं। वो दरिंदे भी तो बाप बनते हैं क्यों नही पिघलता उनका हदय  क्यों वो  कलियों को कुचलते हैं।       भानुजा शर्मा    पता-शुक निकुंज          शुक बिहार कॉलोनी करौली।  

तुम से हुई

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 रिश्ते की नमी तब महसूस हुई  जब पास मैं तुम्हारे थी  तुम्हारी बाते किसी और से हुई। हर बार मिलने की बाते कहकर मुझ से ना होकर..... मुलाकात तुम्हारी गेरों से हुई। समझना पाई तेरी मौजूदगी को कभी साथ रहकर भी मेरे..... शादी की बातें किसी और से हुई।

सदक़ा उतारा कीजिए

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           "सदक़ा उतारा  कीजिए" यू ना वक़्त अपना जाया  कीजिए इतने वक़्त में अपना सदक़ा उतारा कीजिए। गैरों की बातों पर गौर करके इल्जाम हम पर ना लगाया कीजिए फ़टी पैरहन सी हैं अब ये जिंदगी अब ना ' भानु' इसे सिया कीजिए वो अधूरे पढ़े मेरे खतों को कभी तो जनाब पढ़ लिया कीजिए। हर्फ़-ए-तमन्ना से ना बहलाया कीजिए कभी तो असलियत दिखाया कीजिए। ले जाकर हमकों हमारी ही महफ़िल में  हमारे इल्म का ज़िक्र हमसे किया ना कीजिए     भानुजा शर्मा करौली( राजस्थान)  1.पैरहन-पहनें जाना वाला कपड़ा   2. हर्फ़ ए तमन्ना- उम्मीद भरे शब्द   3 इल्म- विद्या ,कला  4 सदक़ा- उतारा

सवेरा

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सुनते हैं हर फ़साना तेरा ये  लहजा हैं सिर्फ मेरा सिखाता हैं वो सलीक़ाअपना अब सलीक़ा होगा सिर्फ मेरा नही हैं कोई शरीक़ मेरे इल्म में  दुःख और आह होगा सिर्फ मेरा बिखेरता हैं रोशनी को भानु पर अब सवेरा होगा सिर्फ मेरा सूरज सूरज नही 'भानु' हो जैसे बादल की गोद में सवेरा। भानुजा✍️✍️  

दर

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दर पर बैठें तेरे कान्हा निरखु तोहे दिन रैन रूप बसों तेरो मन माही अब ना पड़त मोहे चैन शीश धरि आज ब्रजरज मैंने मन्दिर मंदिर तोहे खोजों है मन मंदिर में विराजत हो ये मन अंत काहे फिर खोजत हैं