सवेरा
सुनते हैं हर फ़साना तेरा
ये लहजा हैं सिर्फ मेरा
सिखाता हैं वो सलीक़ाअपना
अब सलीक़ा होगा सिर्फ मेरा
नही हैं कोई शरीक़ मेरे इल्म में
दुःख और आह होगा सिर्फ मेरा
बिखेरता हैं रोशनी को भानु
पर अब सवेरा होगा सिर्फ मेरा
सूरज सूरज नही 'भानु'
हो जैसे बादल की गोद में सवेरा।
और मेहनत करो।
ReplyDeleteJi
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