दोज़

सखी री आज दोज़ पूजन धड़ी आई
बैठी "भान अली"ले सहचरी भानुजा निकट बैठाई

का हित पूजी दोज़ तुम हमको देऊ समझाई
अमर सुहाग रहें प्रिया जू चिर जीवो कृष्ण कन्हाई।

बैठाये प्रिया प्रियतम चंदन चौकी दौज तिलक मन भाई
भरी गोज दोउ मेवन सो अली करत नेह प्रीत लड़ाई।

का भेंट चाहो तुम जीजी हमकों देओ बताई
एकटक दर्शन करत रहू युगल को माँगत कृष्ण कन्हाई।

गुरुदेव कृपा सो ये नेह प्रगटो संबंध दियो बनाई
का कहू मेरे गुरुदेव कृपा को जुगल दिए मिलाई।

"भान अली"


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