भान अली
अब तो लड़ैती मोहे करो स्वीकार
बैठी रहूं सेवाकुंज द्वारे, सर्वस प्यारी अब हम हार
नैनन नीर वहत-रहत सदा,सहचरी सुख ही कौ सार
देखी ललिता सखी 'भानुजा' चरन प्रेंम रस को द्वार
निज परिकर की चेरी कर मोहे, राखों शरण तिहार
उठो 'भान अली'चलो परिकर में,करो हमरे संग बिहार
उढ़ाई निज ओढ़नी स्वामी जू,दियो मोहे व्रज उर हार।
मिलौ रूप 'भान अली'कौ , गुरुदेव कृपा कौ सब सार।
Comments
Post a Comment