मन मेरा
जितने वादे किये तुमने मौसम से किये
मन मेरा कल्पों से युग बना ही रहा।
बोई थी नन्ही फुलवारी मेरे जो मन में
मन मेरा सदा बसन्त बना ही रहा।
मैंने ना बोये किसी की राहों में कांटे
मेरे आम में निबोरी का ढ़ेर लगा ही रहा
तेरी मेहरबानियां का शुक्रिया सदा
मन मेरा 'भानु' मुझमें अब लगा ही रहा।
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