तेरे घर
तेरे द्वार की चावी तो आज भी हैं मेरे पास.....
जो ना मिल पाई थी वो थी तेरे मन की चावी।
बहुत कुछ होगा तेरे घर मैं मेरा.....
बस वहाँ नही होऊंगी तो सिर्फ मैं।
लोग कहते हैं आज भी तेरा लहजा उस जैसा हैं
कहती नहीं पर आज भी बाकी हैं तू मुझ में....
जीवन के गणित के हर अंक से घटा दिया हैं उसको
मैंने बस उसे जोड़ा हैं तो दुआ में....
👌👌
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