मोहे करो व्रज बासी

 किशोरी मोहे करो व्रजवासी
काम क्रोध मोह लोभ हम फांसी
जगत मोपे हँसे हम रोवत दिन राति

रूखी सुखी खाऊ मधुकरी
चाहे रहू मैं पियासी
भोग छुड़ाओ सगरे जगत के
बैठी रहूं रंग महल पासी

भानुजा शर्मा

Comments

Popular posts from this blog

आन मिलो सजना

" शासन"

अनकही बातें❣️