तेरी बात

तेरी बातें भी तुझ सी फ़रेबी निकली
जो सच थी वो तो मेरी निकली

सच कह कर सुनाये थे जो क़िस्से सभी
वो तो एक बड़ी पहेली निकली

वो मेरा हैं वो मेरी हैं कहते थे ना अक़्सर
तुम्हारी अपनी तो कोई तीसरी निकली

बाँधा था जो फेरों के बक्त तुमने ग्रन्थि बंधन
सुन फ़रेबी वो चुनर भी तो मेरी निकली

लाऊंगा बारात तेरे दरवाज़े पे ये बात सच निकली
ज़नाब पर यहाँ दुल्हन कोई दूसरी निकली


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